के पास पहुँचा दिया। जापान सैनिक अपने रूसी कैदियों के आराम का बहुत ही ख़याल रखते थे। बहुधा वे लोग रूसी कैदियों को अपना सिगरेट ओर शराब दे कर प्रसन्न रखने का प्रयत्न करते थे।
युद्ध के कैदी, युद्ध जारी रहते हुए, धन लेकर भी छोड़ दिये जा सकते हैं। दोनों पक्ष वाले अपने अपने कैदियों को बदल भी लेते हैं। वर्तमान युद्ध में शरीक न होने की शर्त पर कैदी छोड़ दिये जाते हैं। यदि कोई कैदी भागे तो वह भागने की अवस्था में मार डाला तक जा सकता है; परन्तु फिर पकड़े जाने पर उसे केवल इतना ही दण्ड दिया जा सकता है कि उस पर विशेष चौकसी रक्खी जाय। यदि वह अन्य कैदियों के भागने के षड्यन्त्र में सम्मिलित हो तो फिर वह प्राण-दण्ड ही का पात्र समझा जाता है। कैदियों को यथा-सम्भव अच्छा भोजन, वस्त्र ओर स्थान दिया जाता है; किसी किसी अवस्था में उनके जेब-खर्च का भी प्रबन्ध किया जाता है।
युद्ध में पकड़े तो सभी जा सकते हैं, परन्तु समाचार-पत्रों के संवाददाताओं के लिए यह नियम ढीला कर दिया जाता है। वे लोग केवल उस समय तक रोके जा सकते हैं जब तक उनके न रोकने से किसी प्रकार की हानि पहुंँचने की सम्भावना हो। गत रूस-जापान-युद्ध में एक ऐसी ही घटना हो गई थी। अमेरिका के किसी