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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

घने जङ्गल के बीच में होता है। बन्दूकें दाग कर और ढोलक बजा कर हाथी खूब डराये जाते हैं और घेरे के दरवाजे पर लाये जाते हैं। वहाँ और कोई जगह भागने के लिए न मिलने से वे घेरे के भीतर चले जाते हैं। उन के भीतर जाते ही दरवाज़ा बन्द कर दिया जाता है। बहुत आदमी बड़े बड़े भाले ले कर घेरे के चारों तरफ़ खड़े हो जाते हैं, जिस में जङ्गली हाथी उसे तोड़ कर बाहर न निकल भागें।

दूसरे दिन पालतू हाथी भेजे जाते हैं। हर हाथी पर उस का महावत रहता है और एक मोटा रस्सा हाथी की गर्दन से बँधा रहता है। उस रस्से का एक किनारा जमीन की तरह लटका करता है। उस में फन्दा लगा रहता है। यह फन्दा एक आदमी अपने हाथ से थांमे रहता है और जङ्गली हाथी का खौफ़ मालूम होते ही पालतू हाथी के पेट के नीचे छिप जाता है। पालतू हाथी घेरे में घुस कर जङ्गली हाथियों का पीछा करते है। घेरे में उन के पीछे पीछे दौड़ते हैं। इसी समय जङ्गली हाथियों के पिछले पैरों में फन्दा डाला जाता है। फन्दा लग जाने पर वे बड़े बड़े पेड़ों से बाँध दिये जाते हैं। फन्दा लगाते समय जङ्गली हाथी बेतरह बिगड़ते हैं और बड़ी मुशकिलों में लोग फन्दा लगा पाते हैं। दो दिन बाद वे जङ्गल से बाहर लाये जाते हैं और