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भारतवर्ष की चौथी मनुष्य गणना ४५

अच्छी फसल हुई। वहाँ प्लेग का उपद्रव बराबर बना रहा। कोई २० लाख आदमी इस बीमारी से मरे। इस के सिवा साधारण और फसली बुखार से भी कोई दस लाख अदमी मरे। इस प्रान्त की जन-संख्या बढ़ने के बदले फी सैकड़े २॥ के हिसाब से घट गई।

युक्त प्रदेश में १९०० ईसवी में, घोर दुर्भिक्ष पड़ा। उसके बाद चार वर्षों तक इस प्रदेश की दशा अच्छी रही। फिर १९०६ में रबी की फसल खराब हो गई। इस कारण बुन्देलखण्ड और आगरे के दक्षिणी प्रान्त में अकाल पड़ गया। १९०७ में खरीफ़ और रबी की उपज अच्छी होने से देश की दशा सुधरी। परन्तु अगस्त में फिर भी एकाएक वर्षा बन्द हो गई। इस से सब जगह घोर अकाल पड़ गया। १९०८ की खरीफ़ कटने तक इस का प्रकोप रहा। उस के बाद से अब तक फसल की दशा साधारणतः अच्छी रही है। प्लेग से इस प्रान्त में इस दशाब्दी में कोई पन्द्रह लाख आदमी मरे। फ़सली बुखार से मरने वालों की संख्या इस से भी अधिक है। उस से, केवल १९०८ में, कोई २० लाख आदमियों की मृत्यु हुई !!!

बर्मा को आबादी पहले बहुत कम थी। किन्तु इस बार की गणना से मालूम हुआ कि वहाँ की जन-संख्या बहुत बढ़ी है। इस के दो कारण हैं---एक तो वहाँ