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भारतवर्ष की चौथी मनुष्य गणना ४३

जिलों में इस रोग से बहुत मनुष्य मरे। गत दस वर्षों में बङ्गाल-प्रान्त भर में इस रोग से पाँच लाख छियानवे हजार आदमी मरे।

बम्बई के सम्बन्ध में कहा गया गया है कि १९०८---०९ तक इस प्रान्त के व्यापार की दशा अच्छी रही। किन्तु उस साल कपास का भाव बढ़ जाने से काम कुछ ढीला पड़ गया। १९०९---१० में व्यापार फिर कुछ चमका और कराची बन्दर का कारोबार पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ा। हर साल कोई सौ मील के हिसाब से रेलवे का विस्तार होता रहा और नहर का काम भी धीरे धीरे बढ़ता रहा। इस प्रान्त में प्लेग से तेरह लाख तेरह हजार आदमी मरे।

इस दशाब्दी में मध्य-प्रदेश और दरार की दशा बहुत शोचनीय रही। किसी साल अच्छी फसल नहीं हुई। ११०७ में वर्षा कम होने के कारण जबलपुर और नर्मदा प्रान्तों में लोग बहुत दुखी रहे; किन्तु अन्यान्य वर्षों में कई बार यहाँ अच्छी फसल भी हुई। पिछले वर्षों में लोगों ने कपास की खेती करना शुरू किया। इस से अच्छा लाभ हुआ।

मद्रास प्रान्त की फसल की दशा साधारणतः अच्छी रही। १९०६ से १९०८ तक वहाँ हैजे का प्रकोप रहा। इस के सिवा अन्य वर्षों में वहाँ का स्वास्थ्य अच्छा रहा।