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सुमन
इसके विषय में इतना ही कहना काफी है कि पं० महावीरप्रसाद जी द्विवेदी की फुटकर कविताओं का संग्रह है। पूज्य द्विवेदी जी केवल हमारे गद्य के ही युग प्रवर्तक आचार्य नहीं हैं, वरन हिन्दी कविता की आधुनिक क्रान्ति के अग्रदूतों में भी उनका स्थान प्रमुख है। मूल्य१)
पुरातत्त्व-प्रसङ्ग
इसमें द्विवेदी जी की पाण्डित्य पूर्ण लेखनी से लिखे गये पुरातत्त्व विषयक अनेक लेखों का संग्रह है। पुस्तक केवल सरस और मनोरञ्जक ही नहीं, ज्ञान वर्द्धक भी बहुत है। प्राचीन हिन्दुओं की समुद्र यात्रा, प्राचीन भारत में नाट्यशालाएँ, कम्बोडिया में प्राचीन हिन्दू राज्य, इत्यादि निबन्ध पढ़कर, पाठक अनेक ज्ञातव्य बातों से परिचित हो सकते हैं। मूल्य 11