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विस्यूवियस के विषम स्फोट

बराबर भीतर बैठे रहे। यद्यपि उनके कितने ही यन्त्र टूट फूट गये और उन्हें बहुत कष्ट हुआ तथापि वे वहाँ से नहीं हटे। उन्होंने स्फोट सम्बन्धी बहत सी बातें जानी हैं। शीघ्र ही वे सर्व साधारण के लाभ के लिए प्रकाशित की जायेगी। उनकी इस वीरता और निर्भयता पर प्रसन्न होकर इटली के बादशाह ने, सुनते हैं, कोई खिताब दिया है।

विलायती अखबारों में इस स्फोट का वर्णन लिखे जाने तक धुंँवे के बादल विस्यूवियस के आस पास दूर दूर तक थे। यहाँ तक कि पास की खाड़ी में, अंधेरे के कारण, जहाजों का आना जाना तक बन्द था। इससे विस्यूवियस का ढीलडौल अच्छी तरह देखने को नहीं मिला। परन्तु लोगों का अनुमान है कि जैसा ७९ ईसवी में हुआ था वैसा ही इस दफे भी पर्वत का ज्वालागर्भ शिखर गिर कर चूर हो गया होगा। इसके सिवा और भी कितने ही रद्दो-बदल हुए होंगे। यह अजीब पहाड़ है। इसके शिखर इसी तरह टूटा फूटा करते हैं और फिर धीरे धीर, भीतर के पदार्थ ऊपर आ आ कर, उन्हें ऊँचा किया करते हैं या नये नये शिखर पैदा कर देते हैं।

एक साहब ने विस्यूवियस के इस नये स्फोट का आँखों देखा हाल प्रकाशित किया है। वे कहते हैं कि स्फोट के एक दिन पहले इस बात की कुछ भी ख़बर लोगों को न थी कि कल विस्यूवियस आग उगलना शुरू करेगा। २४ घण्टे बाद,