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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

७९ ईसवी का है। यह इतना प्रलयड़्कर कि विस्यूवियस के अग्नि गर्भ से निकली हुई राख से पाम्पिपाई और कीचड़ से हरक्यूलैनियम ये दो शहर बिलकुल ही दब गये। इसके बाद २०३ और ४७२ ईसवी में फिर दो छोटे छोटे स्फोट हुए। पर उनसे विशेष हानि नहीं हुई। १५०० ईसवी तक सब छोटे बड़े मिला कर ९ स्फोट हुए। इसके बाद १५०० से १६३१ तक विस्यूवियस बिलकुल ही शांत रहा। इस बीच में एटना नाम के ज्वालामुवी ने खूब आग उगली और नोवा नाम का एक ओर जवालामुखी जमीन के पेट से निकल आया। कोई डेढ़ सौ वर्ष बाद विस्यूवियस के विषम स्फोट के उदर में फिर भभकी। १६ दिसम्बर १६३१ को फिर भयङ्कर स्फोट हुआ। ख़ाक और पत्थरों को वर्षा शुरू हुई। पास के पाँच सात नगरों का नाश हो गया। नेपल्स के भी बरबाद हो जाने के लक्षण दिखाई देने लगे। पर वह बच गया। हज़ारों आदमियों का नाश हुआ। वे जल कर, झुलसकर और दब कर मर गये। १७३७, १७६० ओर १७६७ में फिर अग्नि स्फोट हुए। उनसे बहुत कुछ हान हुई। १७७९ के स्फोट में २,००० फुट की ऊँचाई तक जलते हुए पत्थर उड़े। १७९४ का स्फोट और भी अधिक भयङ्कर था। उस में जलते हुए पदार्थों की तरल नदियाँ बह निकलीं और समुद्र में जा मिलीं। १९ वीं शताब्दी में