गज तक चली गई है। इसी रेल पर लोग इस ज्वलन्त देव के दर्शन करने जाते हैं।
हरक्युलैनियम और पाम्पिपाई, जिन को विस्यूवियस ने १५ हाथ पृथ्वी के नीचे गाड़ दिया था और बहुत ढूँढ़ने पर भी जिन का कोई निशान तक न मिलता था, अब ज़मीन से खोद कर निकाले गये हैं। हरक्युलैनियम एक छोटा सा नगर है; परन्तु पाम्पिपाई बहुत बड़ा है। एक कुँवा खोदते समय पाम्पिपाई का पहले पहल पता १७४८ ईसवी में लगा। तब से बराबर उसकी खुदाई और खोज हो रही है। विस्यूवियस से वह कोई एक ही मील दूर है। उस के मकान, उस के मन्दिर और उसकी नाटक शालायें आदि इमारत सब जैसी की तैसी निकली हैं। उन में रक्खा हुआ सामान भी बहुत सा निकला है। मनुष्यों की ठठरियां भी पाई गई हैं। १८०० वर्ष के पहले रोमन लोगों के इतिहास को पाम्पिपाई ने प्रत्यक्ष कर दिया है। उस पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं और अब तक लिखी जा रही हैं। उन में लिखे गये वर्णन बहुत ही मनोरंजक हैं। उस समय इटली वालों के मकान कैसे थे; उनके रहने की रीति कैसी थी; उनके घरों में किस प्रकार का सामान रहता था; उनके आमोद-प्रमोद किस प्रकार के थे––इत्यादि बातों का पता पाम्पिपाई से खूब लगा है। कभी बुराई से भी भलाई निकलती है। विस्यू-