ईर्षाद्वेष प्रकट होता है। अतएव डाक्टर कुक के खिलाफ कही गई उनकी बातें नहीं मानी जायँगी। खैर।
पीरी ने अपनी यात्रा का संक्षिप्त हाल "यूयार्क टाइम्स" नामक पत्र में प्रकाशित कराया है। डाक्टर कुक और कमांडर पीरी में से कौन सच्चा और कौन झूठा है, इसका निश्चय तो कुछ दिनों में हो ही जायगा। तब तक पीरी की यात्रा का थोड़ा सा वृत्तान्त सुन लीजिए।
अमेरिका के एक अमीर आदमी उत्तरी समुद्र में शिकार खेलने जाते थे। उन्होंने कहा, डाक्टर कुक, तुम भी चलो? कुक ने कहा, बहुत अच्छा, खुशी से। बस डाक्टर साहब उनके साथ चल दिये। वहाँ एक जगह आपने बहुत से यस्किमो जाति के आदमियों को देखा। खाने का सामान भी बहुत सा आपको मिल गया। बस आपने ठेठ उत्तरी ध्रुव तक जाने की ठान दी। और, गये भी और लौट भी आये। पर पीरी के लिए यह काम इतना सहज न था। उन्हें उत्तरी ध्रुव तक भेजने के लिए अमेरिका वालों ने एक सभा बनाई है। उसने हज़ारों रुपये एकत्र कर के पीरी को मदद की है। "रूज़वेल" नाम का जहाज भी उसी सभा का है। आज कोई ४०० वर्ष से लोग उत्तरी ध्रुव तक पहुंँचने की कोशिश कर रहे हैं। सब मिला कर २१ आदमी ध्रुव की तरफ आज तक गये है। कोई कुछ अधिक दूर तक गया, कोई कुछ कम। इन्हीं आदमियों में