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उत्तरी ध्रुव की यात्रा


कुत्ते और यस्किमो नामक जाति के २३ आदमी भी "यरिक" से उसने लिये। यस्किमो जाति के लोग बर्फि- स्तानी देशों और टापुओं में रहते हैं। बर्फ में रहने का उन्हें जन्म ही से अभ्यास रहता है। वे उत्तरी ध्रुव के आस पास के प्रदेश से सूब परिचित होते हैं। इसीलिये कमांडर पीरी ने उनको अपने साथ ले जाने की ज़रूरत समझी।

बर्फ में डूबे हुए उत्तरी ध्रुव के पास वाले प्रदेश में, गत वर्ष, पीरी साहब ने जो अनुभव प्राप्त किया, और जो कुछ उन पर बीती, उसका संक्षिप्त वृतान्त उन्होंने २ नवम्बर १९०६ को लिख कर रवाना किया है। लबरालोर के होपडेल नामक स्थान से उन्होंने यह वृत्तान्त न्यूयार्क को भेजा है। उसका मतलब हम थोड़े में उन्हीं की ज़वानी नीचे देते हैं:--

उत्तरी समुद्र के किनारे, ग्रांट राड नामक भू-प्रदेश के पास "रूजवेल" ठहरा। वहीं उसने जाड़ा बिताया। फरवरी में हम लोग बर्फ पर चड़ने वाली स्लेज नामक छोटी छोटी गाड़ियाँ लेकर उत्तर की ओर रवाना हुए। हेकला और कोलम्बिया के रास्ते हम आप बढ़े। ८४ और ८५ अक्षांर्ता के बीच हमें खुला हुआ समुद्र मिला। उस पर बर्फ जमा हुआ न था। तूफान ने जमे हुए बर्फ को तोड़ फोड़ डाला; हमारे खाने पीने की चीजों को बर्बाद कर दिया, हमारी टोली के जो लोग पीछे थे, उनका लगाव काट दिया। इस कारण आगे बढ़ने में बहुत देर