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दक्षिणी ध्रुव की यात्रा


नेण्ट बनाये गये। एक ही दो वर्ष बाद आपको कमाण्डर का पद मिला। सन् १९०४ कप्तान के उच्च पद पर आप नियत किये गये। १९०५ ईसवी में कैम्ब्रिज ओर मैंचेस्टर के विश्वविद्यालयों ने आपको विज्ञानाचार्य, अर्थात् डी० एस० सी० की प्रतिष्ठित पदवी से विभूषित किया। सन् १९०८ में आपने विवाह किया। सन १९०१ ईसवी में कप्तान स्काट ने पहली बार दक्षिणी ध्रुव की यात्रा की। उस समय आप ध्रुवीय प्रदेश में जितनी दूर तक गये थे उसके पहले उतनी दूर तक कोई न पहुँच पाया था। अतएव तब से आपका नाम सारे संसार में प्रसिद्ध हो गया और भाप अच्छे ध्रवीय यात्री माने जाने लगे। इस उपलक्ष्य में उस समय आपको दुनिया भर की मुख्य मुख्य भौगोलिक सभाओं ने स्वर्णपदक दिये थे। स्काट साहब बड़े ही साहसी, दृढ़ प्रतिज्ञ और वीर पुरुष थे। प्रबन्ध करने की शक्ति उनकी बहुत बढ़ी चढ़ी थी। विज्ञान की प्रायः सभी शाखा- ओं में वे थोड़ा बहुत दखल रखते थे।

कप्तान स्काट के साथ जिन चार वीरों ने ध्रुवीय प्रदेश में अपनी मानवलीला समाप्त की उनके नाम ये हैं -- डाक्टर विलसन, कप्तान ओट्स, लेपिटनेष्ट ओवर्स, पेटी अफसर एवेंस। इन में डाक्टर विल्सन इँग्लैंड के प्रसिद्ध विज्ञान- वेता थे। वे कप्तान स्काट के पुराने मित्रों में से थे। कप्तान ओट्स एक सुयोग्य अफसर थे। वे बड़े ही मुस्तैद थे।