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दक्षिणी ध्रुव की यात्रा
कमाण्डर जरलैच १९०१ ७०½ डिग्री
कमाण्डर स्काट १९०१ ८२ डिग्री १७ मिनट एड-
बर्डलैंड माखम तथा लांग
स्टाफ पर्वत
गाल १९०१ कुछ वैज्ञानिक तत्व
डाक्टर ब्रूस १९०१ {{{1}}} {{{1}}}
डाक्टर चारकोट १९o४ ग्रैहमलैंड
डाक्टर चारकोर १९०८ ७० डिग्री ३० मि॰
सरअनेस्टशैकलटन १९०० ८८ डिग्री २३ मिनट एक
ज्वालामुखी पर्वत तथा
मैगनेटिक पोल
कप्तान एमंडसन १९१० ठेठ ध्रूव तक माघ पर्वत

अब कप्तान स्काट की बारी आई। ऊपर की सूची से मालम होगा कि स्काट साहब एक बार पहले भी दक्षिणी ध्रुव की यात्रा कर आये थे। उस समय वे कमाण्डर स्काट के नाम से प्रसिद्ध थे। उनकी दूसरी या अन्तिम राना सन १९१० ईस्वी में प्रारम्भ हुई। यह यात्रा टेरानोआ नामक जहाज पर हुई थी। यह उहाज अंगरेजों ही का बनाया तथा अँगरेजों ही की सम्पत्ति थी। इसके यात्री भी अंग्रेज ही थे। इसीलिए इस ध्रुवीय यात्रा को अगरेज लोग (British National Expedition) अर्थात् अंगरेजों की जालीय चढ़ाई कहते हैं।