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पृथ्वी के उतरी और दक्षिणी भागों को क्रम से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव कहते हैं। ये देश बर्फ से सदा ढके रहते हैं। वहाँ बारहों मास अत्यन्त शीत रहता है। अतएव वहाँ मनुष्य का निवास प्रायः असम्भव है। सभ्य देशों के निवासी इन दुर्गम देशों का हाल जानने के लिए सदा से उत्सुकता प्रकट करते रहे हैं। केवल यही नहीं, उनमें से कितने ही साहसी पुरुष इन देशों का पूरा हाल जानने के लिए, समय समय पर, वहाँ गये भी हैं। परन्तु सन् १९११ ईसवी के पहले ठेठ ध्रुवों तक कोई भी नहीं पहुँच पाया। हाँ, उस साल और उसके बाद दो आदमी तो खास्ट उत्तरी ध्रुव तक और दो आदमी ठेठ दक्षिणा ध्रुव तक पहुँच गये। उनके नाम क्रम से ये हैं---पियरी, कुक, एमंडसन और स्काट। इनमें से पहले और तीसरे साहब के विषय में तो लोग निश्चय रूप से कहते हैं कि वे क्रप से उतरी और दक्षिणी ध्रुव को अवश्य पहुँचे; पर दूसरे और चौथे महाशय के विषय में किसी किसी को सन्देह है। पर जो लोग इस विषय में विशेष अनुभव रखते हैं उनका कहना है कि चारों महाशय ध्रवों तक पहुंँच गये थे। इनमें से अन्तिम साहब, कप्तान स्काट, के विषय में हाल ही में ख़बर मिली है कि कई साथियों समेत उनका