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प्रतिज्ञा

ठिकाना नहीं। भिक्षा माँगकर लोग कन्या का विवाह करते हैं। मोहल्ले में कोई लड़की अनाथ हो जाती है, तो चन्दा लगाकर उनका विवाह कर दिया जाता है। मेरे यहाँ किस बात की कमी है। मैं तुम्हारे लिये कोई और वर तलाश करूँगी। यह जाने-सुने आदमी थे, इतना ही था, नहीं तो बिरादरी में एक-से-एक पड़े हुए हैं। मैं कल ही तुम्हारे बाबूजी को भेजती हूँ।

प्रेमा का हृदय काप उठा। तीन साल से अमृतराय को अपने हृदय-मन्दिर में स्थापित करके वह पूजा करती चली आती थी। उस मूर्ति को उसके हृदय से कौन निकाल सकता था। हृदय में उस प्रतिमा को बिठाये हुए, क्या वह किसी दूसरे पुरुष से विवाह कर सकती थी! वह विवाह होगा या विवाह का स्वाँग। उस जीवन की कल्पना कितनी भयावह--कितनी रोमांचकारी थी!

प्रेमा ने ज़मीन की तरफ़ ताकते हुए कहा--नहीं अम्माजी, मेरे लिये आप कोई फ़िक्र न करें, मैंने क्वारी रहने का निश्चय कर लिया है।

बाबू कमलाप्रसाद के आगमन का शोर सुनाई दिया। आप सिनेमा के अनन्य भक्त थे, नित्य जाते थे। नौकरों पर उनका बड़ा कठोर शासन था। विशेषतः बाहर से आने पर तो वह एक की मरम्मत किये बगैर न छोड़ते थे। उनके बूट की चरमर सुनते ही नौकरों में हलचल पड़ जाती थी।

कमलाप्रसाद ने आते-ही-आते कहार से पूछा--बरफ लाये?

कहार ने दबी ज़बान से कहा--अभी तो नहीं सरकार!

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