पृष्ठ:प्रतिज्ञा.pdf/२१४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४

शहर में घर-घर, गली---कूचे-जहाँ देखिये यही चर्चा थी। बाबू दाननाथ का नाम भी प्रसंग से लोगों की ज़बान पर आ जाता था। जो व्यक्ति कमलाप्रसाद की नाक का बाल---आठों पहर का साथी हो, वह क्या इस कुचक्र से बिलकुल अलग रह सकता है? कमलाप्रसाद तो खैर एक रईस का शौकीन लड़का था। उसके चरित्र की जाँच कठोर नियमों से न की जा सकती थी। ऐसे लोग प्रायः दुर्व्यसनी

१४

२०९