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प्रतिज्ञा

बाप से कहा होता, किसी करोड़पती सेठ के घर ब्याहते। यहाँ का हाल तो जानते थे।

सुमित्रा ने तड़पकर कहा---बाप-दादे का नाम न लेना, कहे देती हूँ। वह चारपाई पर कुञ्जी पड़ी है और वह सामने सन्दूक है। अचकन लो और बाहर जाओ। यहाँ कोई तुम्हारी लौंडी नहीं है। जब अपनी कमाई खिलाना तब डाँट लेना। बाप यह नहीं जानते थे कि यह ठाट बाहर ही बाहर है।

कमला॰---तुम तो बड़ी समझदार थीं, तुम्ही ने पता लगा लिया होता।

सुमित्रा---झगड़ा करना चाहते हो या अचकन लेकर बाहर जाना चाहते हो।

कमला॰---नहीं, झगड़ा करना चाहता हूँ।

सुमित्रा---अच्छी बात है। जैसा कहोगे, वैसा सुनोगे।

कमला॰---मेरी अचकन निकालती हो या नहीं?

सुमित्रा---अगर भलमनसी से कहते हो तो हाँ, रोब से कहते हो तो नहीं।

कमला॰---मैं तो रोब से ही कहता हूँ।

सुमित्रा---तो निकाल लो।

कमला॰---तुम्हें निकालना पड़ेगा।

सुमित्रा---मैं नहीं निकालती।

कमला॰---अनर्थ हो जायगा सुमित्रा! अनर्थ हो आयगा; कहे देता हूँ।

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