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पुत्र-पु माने नर्क (संस्कृत) और त माने तुझे,(फारसी,जैसे
जवाबत् चिदिहम-तुझे क्या उत्तर दूं।) और रादाने धातु
है,अर्थात् तुझे नर्क देने वाला।
श्रीरामनौमी में भक्तों की बनि आती है। व्रत केवल
दोपहर तक है, सो यों भी सब लोग दुपहर के इधर-उधर खाते
हैं। इससे कष्ट कुछ नहीं, औ आनन्द का कहना ही क्या है।
भगवान का जन्म दिन है। अनुभवी को अकथनीय आनन्द है।
मतलबी को भी थोड़े से शुभ कर्म में बहुत बड़ी आशा है !!!
वैसाख में कोई बड़ा पर्व नहीं होता, तौ भी प्रातस्नातकों को
मज़ा रहता है। भोर की ठंढी हवा, सो भी बसन्त ऋतु की।
रास्ते में यदि नीम का वृक्ष भी मिल गया, तो सुगन्ध से मस्त.
हो गये । जेठ में दशहरा को गंगापुत्रों की चाँदी है। गरमी के
दिन ठहरे, बड़ा पर्व ठहरा । नहाने को कौन न आवेगा ? और
कहां तक न पसीजेगा । आषाढ़ी को चेला मूंड़ने वाले गोसाइयों
के दिन फिरते हैं। गरीब से गरीब कुछ तो भेंट धरेईगा। नाग-
पंचमी में लड़कियों की बनि आती है। परमेश्वर उनके माता
पिता को बनाये रक्खे । भादों में हलषष्टी को भुरजियों के भाग
जगते हैं। जिसे देखो, वही बहुरी बहुरी कर रहा है। हमारे
पाठक कहते होंगे-जन्माष्टमी भूल गये। पर हम जब आधी