पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/८४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पुरानी हिंदी ८१ 11 राया" सकेत नकलापदा शिवपुरद्वारे आपाटो शील येन निज विनुपमविल बैनीक्यविनामगि' ! (२) पृष्ठ ३११, १४ छद, बारह भावनाएँ, नम ने-(::-ci पिई' माय भाय मुकलतु पुत्त पहु' परियण मित्तु नगगुत पहवतु न रक्खुइ' कोवि मरा विण धम्मह अन्नु न अत्यि मण विरकु सयरणो' वि मनु जलुप्रो" वि तरण जाणि वि कलन् । इह होड नड न कुवाम्मवतु ससाररगि बहुरुबु" जतु ।। एक्कल्लउ" पावह जीव जम्म एक्काल उ मरइ विढत कम्म । एक्कल्लत परभवि' सहइ दुक्ख । एकल्लउ धम्मिण२२ लहइ मुक्न ।' (३) पृ० ३५०-५१, वसतवर्णन, छंद ५-नमूना- (४१ जहिं रत्त सहहिं कुसुमिय पलास नं फट्टए पहियगण हिययमान । सह्यारिहि रेहहि मंजरीमो ने मयण जलण जालायलोमो॥ जहाँ, रक्त, सोहते हैं, कुसुमित, पलाश, मानो, फूटे हैं, पपिए गण (के) हृदय के मांस, सहकारो (मामो) मे, विराजती हैं, मंजरियों मानी, १. काव्यमाला गुच्छक ७० ३७ । २. स्पष्ट है। कठिन शब्दो पर टिप्पणी दी है- १-पिता । २--सुकलन (स्त्री । ३-प्रभु । ४-परिजन ! ५-लदान । ६-समर्थ होता हुमा (प्रभवन् )। ७-रक्षा करता है, बचाता है। - के । -अन्य । १०-है। ११-राजा । १२-साजन । १३-नु। १४- जनक (पिता)। १५-तनय (पुत्र) । १६-नट ३६ । १७-रंग पर, नाग भूमि पर १-बहुरूप १६-पोला २०-अजित २१-परलोक में - से २३-मीक्ष। पु० हिं० ६ (११००-७५)