पृष्ठ:पुरानी हिंदी.pdf/५६

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पुरानी हिंदी ११ विक्रम मवत् घटना 1१६२ (१) ११५० मे ११९९ तक प्राभोर गगा नवधन की मृत्यु । किसी ममय ११६६ ११६६ १२० ११६६ से १२३० तक मिद्धगज जयमिह की मृत्यु । कुमारपाल का गज्याम्पिक कुमारपाल की मृत्यु हेमचन्द्र के व्याकरण पो रचना किसी समय १२४६ १३६१ पृथ्वीराज की मृत्यु प्रबधचित्तामरिंग की रचना ।


गुपन प्रष्टमी सोमप्रसाचार्य के कुमारपालप्रतिवोध से मेरुतुगाचार्य ने प्रवधचितामणि प्रथ स. १३६१ मे बनाया। उनमें कोई कविता उसकी अपनी नहीं है। पुरानी कविता जो उगने उद्धत' की है उसका निम्नतम समय तो उसका ममय है, उध्वंतम समय का पता नही । वह कविता पहले लेख में उदधृत और ध्यारयात की जा चुकी हैं। अव पार पीछे चलिए । स. १२४१ को पिाद रविवार को अनहिलपट्टन मे सोमप्रभमूरि ने जिनधर्मपतिवोध अर्थात् कुमारपालप्रतिबोध की रचना समाप्त की। उसमे जो पुरानी हिदी. कविता है, वह इस लेख का विषय है । सोमप्रभसूरि का कुमारपालप्रतिवोध गायकवाद प्रापिटल मिरीजी चौदहवी सख्या में छपा है । इसके पांच प्रस्ताव है जिनमे लगभग माट हजार आठ सौ श्लोक है । अथ प्राकृत, संकृत और अपभ्रंश गर तथा १. शशिजलधिसूर्य वर्षे शुचिमासे रविदिने सिताप्टम्यान् । जिनधर्मप्रतिवोध क्लुप्तोऽयम् गुजरेंद्रपुरे ॥१० ४५८) २ प्रस्तावपंचकेऽप्यताप्टी सहस्राण्यनुष्टुभाम् । एफकाक्षरसत्यातान्यधिकान्यष्टभि शतं ॥ (पृ. ४७८)