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विषय सूची

प्राचीन भारतीय भाषाओं का प्रवाहक्रम, १-४, शौरसेनी और पैशाची (भूतभापा), ४-६, अपभ्रांश , ६-१४ [अपभ्रश और पुरानी हिंदी का काल- निर्णय, अपभ्रश की सर्वमान्यता, राजशेखर का मत, अपभ्रंश और पुरानी हिंदी का स्थल भेद, 'पुरानी हिंदी' नामकरण का कारण, पुरानी हिंदी की रचनाएँ, दोहाविद्या, हेमचंद्र के 'प्राकृत व्याकरण' मे सगृहीत दोहो के वर्तमान मॅजे रूप ] |

(१) शार्ङ्गधर पद्धति की भापा के उदाहरण १४-१७, (२) जैन प्राचार्य मेरुतुंग एवं उनकी प्रबंधचिंतामणि, १७-२५ [इसमे उद्धृत कविताओ का अनुमित काल, समसामयिक जैन सस्कृति को विशेषताएं, इसके कुछ शब्द और वाक्य, इनका तुलनात्मक विवेचन ] प्रबंध चिंतामणि से उद्धृत दोहे (१-३१ क), २५-५१ ।

सोमप्रभाचार्य और कुमारपाल प्रतिवोध ५१-५२, इनके अन्य ग्रंथ , ५१-५२, कुमारपाल प्रतिवोध का परिचय, ५२-५३, इसमे सनिविष्ट सामग्री, भाषा का विवेचन ५४-६६, उदाहरणाश, पहला भाग (सोमप्रभ द्वारा उद्धृत प्राचीन कविताएँ (१-३६) ६६-७६ दूसरा भाग (सोमप्रभ और सिद्धपाल की रचित कविता (३७-५२), ८०-८७ । (१) माइल्ल धवल के पहले का दोहानथ 'बृहत् नयचक्र' अथवा 'दम्ब सहाव पयास', ( दशम शताब्दी में दोहाबद्ध पुरानी हिंदी की कविता ) २७-८६, (२) खडी चोली म्लेच्छ भाषा, ८६-६५ ।

हेमचन्द्र का व्याकरण और कुमारपाल चरित १५-१२१, [पारिणनि एव उनका महान् कृतित्व, ६५-१०७, हेमचद्र और उनके हेमचद्र शब्दानुशासन' का परिचय, १०७-११०, हेमचद्रकृत 'देशी नाम माला, ११०-११४, हेमचद्र का जीवनचरित तथा काम, ११४-११५, सिद्ध हेम व्याकरण की रचना, ११५-११७, हेमचद्र और देशी, ११७-१२१ ], उदाहरणाश, प्रथम भाग (हेमचद्र की रचना के नमूने) १२२-१२५, द्वितीय भाग (१-१७५), १२६-१७७, परिशिष्ट १७८ ।