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पुरातत्व-प्रसङ्ग


अपने अधिकार में कर लिया। उनका वह अधिकार अब तक अक्षुण्ण है।

जावा के अनेक निवासी भाग कर बाली में जा बसे। वहाँ यद्यपि बौद्ध धर्म का भी प्रचार है, पर शैव ब्राह्मणों ही की संख्या अधिक है। इस छोटे से टापू में हिन्दुओं के कई पुराण, वेदों के कुछ भाग तथा राजनीति के कई ग्रन्थ था ग्रन्थांश अब तक, संस्कृत-भाषा में, विद्यमान हैं। रामायण और महाभारत भी, खण्डित रूप में, वहाँ पाये जाते है। पर उनकी भाषा संस्कृत नही, जावा की प्राचीन भाषा "कवी" है।

[आक्टोबर १९२७