श्रीविजय नाम से ख्यात था।
कम्बोडिया अर्थात् प्राचीन काम्बोज का पहला वर्म्मा नामधारी राजा क्षुत-वर्म्मा था। उसने अपने राज्य की सीमा की विशेष वृद्धि की और उसे स्थायित्व प्रदान किया। वह कौण्डिन्य गोत्र था। शिलालेखों में उसने अपने को सोमवंशी बताया है। उसने ४३५ से ४९५ ईसवी तक राज्य किया। ६८० ईसवी तक वहाँ वर्म्मा-नामधारी सात नरेशों ने राज्य किया। उसके बाद कोई सौ वर्ष तक वहाँ अराजकता सी रही। तदनन्तर १८ नरेश वहां भौर हुए। उनके नामों के अन्त में भी “वर्म्मा" शब्द था। इस तरह काम्बोज में २५ राजे ऐसे हुए जिनके उल्लेख शिलालेखों में पाये जाते हैं। प्राचीन इतिहास की जानकारी के लिए शिलालेख ही सबसे अधिक विश्वसनीय साधन हैं। और, चूँकि इन सब राजो के नाम, धाम और काम आदि का वर्णन इन्हीं से मालूम हुआ है, अतएव इन बातों के सच होने में जरा भी सन्देह नहीं।
ईसा के छठे शतक में काम्बोज में भव-वर्म्मा नाम का
एक राजा था। वह शैव था। देवी-देवताओं के विषय
में उसकी बड़ी पूज्य बुद्धि थी। उसने कितने ही मन्दिर
बनवाये और उनमें देव-विग्रहों की स्थापना की। एक
मन्दिर में उसने रामायण, महाभारत और अष्टादश पुराणों