में पुस्तकें प्रकाशित की हैं। उन्हीं की खोज की प्रधान
प्रधान बातों का समावेश वसु महाशय ने अपनी इसे
छोटीसी पुस्तक में किया है। इन समस्त पुस्तकों और
लेखों में उल्लिखित बातों में से कुछ का सार नीचे दिया
जाता है।
इंडो-चायना में १२० लाख अनामी, १५ लाख कम्बोडियन, १२ लाख लाउस, २ लाख चम और मलाया, १ हज़ार हिन्दू और ५० लाख असभ्य जङ्गली आदमी रहते हैं। अनामी, कम्बोडियन और लाउस नाम के अधिवासी बौद्ध हैं। जो एक हज़ार हिन्दू है वे सबके सब तामील हैं। चम और मलाया लोग प्रायः मुसल- मान है। उनमें से कोई २५ हजार चम, जो अनाम के वासी हैं, बहुत प्राचीन ब्राह्मण-धर्म के अनुयायी हैं। वे सब शैव हैं और अपने को "चमजात” कहते हैं।
खोज से मालूम होता है कि कोई ढाई हजार वर्ष
पूर्व भारतवासियों ने पहले-पहल स्याम के पूर्वी प्रदेशों
और द्वीपों को जाना आरम्भ किया। बहुत करके ये
लोग प्राचीन कलिङ्ग और तैलङ्ग देश के समुद्रतटवर्ती
प्रान्तों से उस तरफ गये; क्योंकि वही प्रान्त वर्तमान
अनाम और कम्बोडिया आदि प्रान्तों के निकट हैं। उस
समय समुद्रमार्ग से वहाँ जाने में, विशेष सुभीता रहा
होगा। भारतवासियों का ख़याल था कि वर्तमान इन्डो-