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पुरातत्त्व-प्रसङ्ग

इस तरह वेद, रामायण, महाभारत, सूत्र-ग्रन्थ, पुराण, काव्य, नाटक, उपाख्यान आदि संस्कृत-भाषा के सभी तरह के ग्रन्थों में भारत के सामुद्रिक व्यापार के हवाले भरे पड़े है। अधिक प्रमाण देने की आवश्यकता नही। जो प्रमाण दिये गये है उन्ही से यह अच्छी तरह सिद्ध होता है कि प्राचीन-काल में भारतवासी हिन्दू व्यापार या जलयुद्ध के लिए निःसङ्कोच समुद्र-यात्रा करते थे और अन्य देशों तथा टापुओं में जाते-आते तथा कभी कभी वहाँ बस भी जाते थे।

जो प्रमाण अब तक दिये गये वे सब हिन्दुओं के ग्रन्थों से दिये गये है। अब हम अपने कथन की पुष्टि के लिए कुछ प्रमाण बौद्धों के भी साहित्य से देना चाहते है।

महाराज विजय को समुद्र-यात्रा का वर्णन महावंश आदि कितने ही बौद्ध-ग्रन्थों में पाया जाता है। राजा- पली मे लिखा है कि वङ्ग-नरेश महाराज सिंहवाहु ने राज- कुमार विजय और उनके सात सौ साथियो को देश से । निकाल दिया था। बात यह हुई कि उन्होंने प्रजा पर बहुत अत्याचार किया था। वे लोग, अपने बालबच्चो समेत, तीन जहाजों पर चढ़ कर चले। जहाज सिहपुर नामक नगर के निकट से रवाना हुए थे। राह में वे सपारा नाम के बन्दरगाह में, कुछ समय तक, ठहरे थे।