देहली के अशोकस्तम्भ के अपर उत्कीर्ण ३ लेख पढ़े। ये
लेख चौहान राजा बीसलदेव के थे। इनमें से एक का
समय "संवत् १२२० वैशाख सुदी ५" ज्ञात हुआ।
जे० एच० हैरिंग्टन ने भी कई पुराने लेखों को पढ़ा।
इन सबकी लिपि बहुत पुरानी न थी। इससे ये लेख
थोड़े ही परिश्रम और मनोयोग से पढ लिये गये।
विशेष फठिन लिपि है गुप्तकालीन देवनागरी। चार्ल्स
विलकिन्स ने उसके पढ़ने के लिये कोई चार वर्ष तक
परिश्रम किया। अन्त में उन्होंने इस लिपि की प्रायः
आधी वर्णमाला से परिचय प्राप्त कर लिया। उधर और
लोग भी पुरानी लिपियाँ पढ़ने की चेष्टा में सतत लगे
हुए थे। उनमें से कर्नल जेम्स टाड, मिस्टर बी० जी०
बैंबिंग्टन, वाल्टर इलियट, कैप्टन टायर, डाक्टर मिल,
डब्लू० एच० बाथ के नाम सबसे अधिक उल्लेखयोग्य
हैं। किसी ने राजपूताने के कुछ पुराने लेख पढ़े, किसी
ने बल्लभी के, किसी ने प्रयाग के, किसी ने और प्रान्तों
के। बैबिग्टन और इलियट ने प्राचीन तामिल और कानडी-
लिपियों की वर्णमालाओं का अधिकांश ज्ञान-सम्पादन
करके उन लिपियों में उत्कीर्ण कितने ही शिलालेख पढ़
डाले। इस प्रकार १८५३ ईसवी तक बहुत से पुराने
लेखों का उद्धार होगया। इस काम में जेम्स प्रिंसेप-नाम
के एक विद्वान् ने बड़ा काम किया। उन्होंने देहली,
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पुरातत्त्व का पूर्वेतिहास