अथवा टोपी, खाट, मचिया, टोकरी भादि बनाती है।
कभी कभी खेती के काम मे वे अपने पतियो की मदद
भी करती हैं।
मैडेगास्कर के मूल निवासी नाचना बहुत पसन्द करते हैं। आमोद-प्रमोद में स्त्री-पुरुष सभी शरीक होते हैं। परन्तु अँगरेज़ो की तरह वे इकट्ठे नहीं नाचते। नाचने के समय पैर बहुत नहीं हिलाते; हाथो का सञ्चालन ही अधिक करते है।
बहुत समय से मैडेगास्कर में स्त्रियाँ ही शासन करती हैं। जिस समय जो रानी होती है उस, समय वह अपने लिए एक नया ही राज-भवन निर्माण कराती है। राजप्रासाद एक छोटी सी पहाड़ी पर बनाया जाता है। बनावट में वह साधारण घरों ही की तरह होता है। पर, हाँ, कुछ बड़ा अवश्य होता है और उसमें कुछ राजसी ठाट के सामान भी होते हैं।
किसी समय इस टापू में मूर्तिपूजा प्रचलित थी।
नाना प्रकार की मूर्तियाँ पूजी जाती थीं। उनमें एक मूर्ति
सर्वश्रेष्ठ मानी जाती थी। उत्सव के दिन लोग उसे लोहे
के एक अद्भुत वर्म्म किंवा जालीदार वस्त्र से ढक कर
जगह जगह घुमाते थे। मूर्ति के आगे आगे एक आदमी,
भीड़ को हटाता हुमा, दौड़ता था। सकालवा लोगों का
विश्वास था कि मूर्तियों की प्रसन्नता और सन्तुष्टि पर ही