ऐतिहासिक बातों का पता लगाया। इधर पश्चिमीय भारत
में साल्ट साहब ने कनेरी-गुफाओं का और रस्किन साहब
ने हाथी-गुफाओं ( Elephanta Caves ) का वृत्तान्त
लिखा। ये वर्णन बाम्बे टांजैक्शन्स ( Bombay Tra-
njactions ) नाम की पुस्तक के पहले भाग में प्रकाशित
किये गये। इसी पुस्तक के तीसरे भाग में साइक्स साहब
का लिखा हुआ बीजापुर का ऐतिहासिक वर्णन प्रकट
हुआ। दक्षिणी भारतवर्ष के पुरातत्त्व के वर्णन तो कई
विद्वानों ने प्रकाशित किये। इस काम का आरम्भ टामस
डानियल ने किया। कर्नल मेकंजो ने सैकड़ों प्राचीन ग्रन्थ
और शिलालेख ढूँढ़ ढूँढ़ कर एकन्न किये। राजपूताने और
मध्य भारत की पुरानी बातों को खोज निकालने में कर्नल
टाड ने बड़ा नाम पाया।
इस प्रकार पूर्व, पश्चिम और दक्षिण भारत में, पुरातत्व-विषयक ज्ञान और सामग्री प्राप्त करने में, कितने ही विद्वान् लग गये। उनके लेखों और ग्रन्थों के प्रकाशन से अनेक अज्ञात और विस्मृत वस्तुओं के ज्ञान का उद्धार हुआ।
इस प्रणाली से थोड़ा-बहुत काम तो अवश्य हुआ;
पर पुराने शिलालेख और ताम्रपन्न आदि जो अब तक मिले
थे वे वैसे ही बिना पढ़े पड़े थे। क्योंकि उनकी लिपि
परानी होने के कारण पढ़ी नहीं जा सकती थी। जिस