मैडेगास्कर में अनेक जातियों के लोग निवास करते हैं। उनमें हबशी, अरब और सकालवा मुख्य हैं। ये पिछले, अर्थात् सकालवा जाति ही के लोग, इस टापू के मूल निवासी है। ये लोग मैडेगास्कर टापू के पश्चिमी समुद्र-तट पर अधिक रहते हैं। ये हबशियों ही के सदृश काले होते हैं। इनकी शरीर-कान्ति सुपक्व जम्बूफल के रंग को भी मात करती है। ये लोग सुदृढ़ और बलवान् भी खूब होते हैं। होना ही चाहिए। निर्बलता और कोमलता तो सभ्यता ही की सगी बहनें हैं। सभ्यता महारानी के सुराज्य ही में उन्हें आश्रय मिल सकता है, अन्यत्र नहीं। सकालवा जाति के मनुष्यों के बाल लम्बे और घुँघराले होते हैं। आँखें बड़ी--आकर्णतटायत--और गहरी होती है। नथुने भी खूब लम्बे-चौड़े होते हैं।
समुद्र के किनारे रहनेवाले सकालवा लोग धीवर अर्थात् मछुओं का काम करते हैं। यही उनका मुख्य व्यवसाय है। मछली खाना उन्हें पसन्द भी बहुत है। जो लोग समुद्र से दूर रहते हैं और खेती करते हैं वे भी अपने सजातीय मछुओं से मछली मोल लिये बिना नहीं रहते। पर बदले में कोई सिक्का न देकर अपनी खेती की उपज, धान या चावल, आदि ही देते हैं। नमक भी वे इसी तरह स्वयं उत्पादित धान्य से बदल कर अपना काम निकालते हैं। शराबखोरी, चोरी और लड़ना-
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