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मैडेगास्कर-द्वीप के मूल-निवासी

संसार मे सैकड़ों जगली जातियाँ वास करती हैं। ऐसा एक भी महादेश, देश या द्वीप न होगा जहाँ कुछ न कुछ जंगली और असभ्य आदमी न रहते हो। हमारे देश में भी ऐसी जातियों की कमी नहीं। आज भारतवर्ष के वाहर की एक जंगली जाति का हाल पाठको को सुनाते हैं।

आफ़रीक़ा के दक्षिण-पूर्व मे मैडेगास्कर नाम का एक द्वीप है। यह द्वीप बहुत बड़ा है। इसकी चौड़ाई कोई एक सौ मील और लम्बाई तीन सौ मील होगी। यह टापू चारो तरफ घने जंगलो से घिरा हुआ है। इसलिए इसमें हिस्र-जन्तुनों की कमी नहीं। इसके सिवा कोई चालीस पचास प्रकार के बन्दर भी इस टापू में आनन्द से विहार किया करते हैं। प्रकार से यहां मतलब जाति से है। सो एक एक जाति के बन्दरों ही की संख्या लाखो होगी। सब जातियो के बन्दरों की संख्या यदि गिनने को मिले तो शायद वह करोड़ों तक पहुंचे। बन्दरों को इन जातियों में एक जाति लेमर्स नाम के बन्दरों की है। इस जाति के बन्दर बड़े ही भयानक होते हैं। वे वहाँ बड़ी कसरत से पाये जाते हैं।