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पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


और यदि शत्रु तलवार या दाँव का वार करे तो उससे भी रक्षा होती है। बेत की टोपो वारिश में काम नहीं देती। उस मौसिम के लिए ये लोग केले के पत्तों को टोपियाँ बनाते और लगाते हैं। उनके भीतर पानी नहीं प्रवेश करता। वह दुलक कर बाहर गिर जाता है। ये टोपियाँ खूब चौड़ी होती हैं। घास का बना हुआ एक उपधान भी ये लोग पीठ पर लटकाये रहते हैं। वह केवल वर्षा- ऋतु ही में काम देता है। उसके भीतर पानी नहीं जा सकता। यह उपधान और टोपी, वर्षा में, मोमजामे का काम देती है।

इन लोगों में विवाह-विषयक पूर्वानुराग का रिवाज नहीं। प्रोति-सम्पादन यहाँ कोई जानता ही नहीं। विवाह तो यहाँ एक प्रकार का सौदा समझा जाता है। इन लोगों को अर्थहोनता देखकर यही कहना पड़ता है कि विवाह इनके लिए एक प्रकार का कीमती व्यवसाय है। विशेष प्रकार की एक गाड़ी यहाँ होती है। वह "मिथुन" कहाती है। उसकी कीमत कोई २५०) होती है। वैसी चार गाड़ियाँ देने से अच्छी से अच्छी पत्नी मिल सकती है। इतना धन खर्च करने से अमीरी ठाट- बाट का विवाह समझा जाता है। पर कभी कभी सुअर के दो बच्चे ही देने से पत्नो मिल जाती है । मिशमी देश में सुअर के एक बच्चे की..कीमत , अन्दाज़न १५)