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पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


लोग दूर दूर का सफर कर सकते हैं। बोझ वे खूब उठाते हैं। इस काम में स्त्रियाँ और पुरुष दोनों ही बड़े कुशल होते है। लकड़पन ही से वे लोग भार-वहन की आदत डालते हैं। स्त्रियो को वहाँ 'गंडु' नाम का रोग तो अवश्य होता है, पर और रोगों का वहाँ प्रायः अभाव ही सा समझिए। ये लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं। मिशमी लोग शौचशुद्धता को आचरणीय धर्म्म नहीं समझते। इस विषय में उन्हें और पशुओं को सद्दश ही समझना चाहिए। अपने घर को तो ये लोग थोड़ा बहुत साफ़ जरूर रखते है; पर शरीर की स्वच्छता की ये ज़रा भी परवा नहीं करते। चुनांचे ये कभी नहाते धोते नहीं। इस देश में बारिश खूब होती है। इससे इन लोगों को पानी बरसते समय भी बहुधा बाहर निकलना पड़ता है। इस कारण इनके कपड़ों का मैल, पानी पड़ने से, चाहे भले ही कुछ छूट जाय, पर शरीर को स्वच्छ करने का कष्ट ये कभी न उठावेगे। इनमें से कुछ लोग तो यहाँ तक समझते हैं कि नहाने से तन्दुरुस्ती ख़राब हो जाती है।

अफीम का प्रचार अभी तक इस देश में नहीं हुआ। पर बोतल-वासिनी देवी ने अपने पादपद्म यहाँ भी पधरा दिये हैं। अतएव शराबनोशी का रवाज चल पड़ा है। पर अभी उसका आधिक्य नहीं हुआ। हाँ, तम्बाकू पीने का आधिक्य अवश्य है। लड़के-बच्चे तक यहाँ तम्बाकू