पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/१४२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३८
पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


कि उसने अपने अफ़सर भेज कर मिशमियों पर अपना प्रभुत्व जमाना शुरू किया और अपने एक महकमे के द्वारा वहाँ की भूमि की नाप-जोख तक करा डाली। इसी नाप-जोख और देख-भाल के सम्बन्ध में उसके दो अकसर भी मारे गये। पर भारतीय गवर्नमेंट ने मिशमियों को उनकी उद्दण्डता का फल चखा ही कर कल की।

मिशमियों के देश का क्षेत्रफल कोई ३,५०० वर्ग मील है। भू-मापक विभाग (Survey Depar tment) के कर्म्मचारियों ने यहाँ १५,५०० फुट तक की उँचाई तक चढ़ कर काम किया है। बर्फ से ढके हुए पर्वतों पर हफ्तों डेरे डाल कर वहाँ उन्होंने जमीन की पैमायश की है और वहाँ की रत्तो रत्ती ज़मीन को छान डाला है। इस काम मे, वर्षा और जाड़े की अधिकता के कारण, यद्यपि उन्हें बड़े घोर कष्ट सहने पड़े, तथापि उन्होंने अङ्गीकृत काम को समाप्त करके ही पीछे पैर हटाया।

यह देश अरण्यमय है। प्रायः सर्वत्र ही यह घने जङ्गलों से आवृत है। सड़के यहाँ बहुत ही कम हैं। जी है भी वे वहीं है जहाँ जङ्गल घना नही। मिशमियो के पास एक-मात्र हथियार है दाँव। उसे वे आवश्यक कामों ही के लिए व्यवहार में लाते हैं। वृक्षों को काट- छाँट कर उन्हें कुण्ठित करना मिशमियों को पसन्द नहीं।