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द्रविड़जातीय भारतवासियों की म० की प्रा.

पजाब के र्माटगोमरी जिले में एक जगह हरप्पा है और सिन्ध के लरवाना जिले में मोहन जोदरी। दोनों जगहें बहुत पुरानी है। वहाँ ऊंचे ऊँचे टीले या धुस्सा हैं, जिनसे सूचित होता है कि किसी समय वहाँ बड़े बड़े शहर रहे होंगे। भारत का पुरातत्व-विभाग ऐसी जगहों की खोज में सदा ही रहता है। हरप्पा में तो बहुत वर्ष पूर्व जनरल कनिहम ने खुदाई की भी थी और कुछ पुरानी सील (मिट्टी के ठप्पे आदि) पाई भी थीं। दो तीन साल हुए, इन जगहों की खुदाई फिर की राई। हरप्पा की खुदाई पण्डित दयाराम साहनी ने की और मोहन-जोदरी की बाबू रीखालदास बैनर्जी ने। ये दोनों ही महाशय पुरातत्त्व-विभाग के अफसर हैं। खोदने से दोनों जगह बहुत पुरानी पुरानी चीजें मिलीं-- उप्पे, मिट्टी के पुराने बर्तन, पत्थर के हथियार, सिक्के, जेबर आदि। मोहन-जोदरो में कबरें भी मिली भौर चार तरह की मिली। सबसे नीचे की तह में वैसी ही कवरें मिली जैसी तिनवल्ली जिले में मिली हैं। उसके ऊपर की तह में बर्तनों के भीतर मृत-मनुष्यों की केवल हड्डियाँ-या अस्थि-भस्म मिली। इसके सिवा वहाँ इति- हास काल के पहले के एक आध सिक्के भी प्राप्त हुए। बे-ताँबे के टुकड़े के रूप में थे और उन पर कुछ लेख- सा भी खुदा हुआ था, जो पढ़ा नहीं गया। मिट्टी के