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पुरातत्व-प्रसङ्ग

आर्येतर लोग तीन भागों में विभक्त हैं-द्रविड़, कोल या मुण्डा और तिब्बत-चीन के निवासी । इनमें से तीसरे विभाग को छोड दीजिए, क्योंकि उनका निवास हिमालय की तराइयों ही में पाया जाता है और आर्यों अथवा हिन्दुओं की सभ्यता का विकास बहुत कुछ हो चुकने पर उनका संसर्ग इन लोगों से हुआ है। कोल- जाति के लोग छोटानागपुर और मध्य-भारत में पाये जाने हैं। परन्तु इस बात के प्रमाण विद्यमान है कि किसी समय उनकी भाषा हिमालय के पश्चिमी प्रान्तो से लेकर गुजरात, महाराष्ट तक और बङ्गाल की तरफ़ पूर्व में ब्रह्मदेश की सीमा तक बोली जाती थी । अतएव सिद्ध है कि इतिहास-काल के पहले ये लोग भारत में दूर दूर तक फैले हुए थे। यह भी सम्भव है कि दक्षिणी भारत में भी इन लोगो की बस्तियों रही हो । ये लोग चीन की हिन्दुस्तानी सीमा ( इण्डोचायना) से बङ्गाल की राह भारत में आये होंगे, क्योंकि उस तरफ. इन लोगों के सजातियो का आधिक्य अब भी है । अथवा, क्या आश्चर्य.जा ये लोग उत्तरी भारतवर्ष ही के आदिम निवासी हों । कुछ भी हो, यहाँ द्रविड़ों के आगमन के पहले ही से ये जरूर भारत में विद्यमान थे। सन्थाल लोग इन्हीं कोलो के वंशज है । यद्यपि ये लोग अपनी भाषा अब प्रायः भूल गये हैं और आर्यों ही की भाषा