पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/१२१

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द्रविड़जातीय भारतवासियों की स० की प्रा० ११७
 


ग्रन्थ मौजूद है उनकी सभ्यता क्या इतनी ही पुरानी है।तिलक महाराज तो उसे लाखों वर्ष की पुरानी बता गये हैं और इस बात को उन्होंने ऋग्वेद के मन्त्रों ही से सिद्ध करने की चेष्टा की है। कुछ पुरातत्त्वज्ञों के भाग्य से अभी हाल ही में हरप्पा और मोहन-जोदरो में जमीन के भीतर से कुछ बहुत पुरानी चीजें निकल आई । वहीं पर कुछ पुराने धुस्स या टीले थे। पुरातत्व महकमे के अधिकारियों ने उन्हें खुदाना शुरू किया तो भीतर से मिट्टी के बर्तन, मिट्टी की सीलें (उप्पे), शंख, धातुओ की अंगूठियाँ आदि निकलीं। इसी तरह की बहुत सी चीजें इराके अरब के प्राचीन सुमेर-राज्य और बाबुल के खंडहरों में पहले ही निकल चुकी थीं। इस पर योरप के प्रततत्व-कोविदों में हलचल मच गई । उन्होंने कहा, ये सब चीजे एक ही सभ्यता की सूचक हैं । अतएव जो लोग किसी समय प्राचीन सुमेर-राज्य और बाबुल में रहते थे उन्हीं के भाई-बन्द भारत में भी रहते थे। उन लेखों को पढ़ कर भारतीय पुरातत्त्व के प्रधान अधिकारी मार्शल साहब ने भी उनकी पुष्टि की । आपने भी यहाँ, इस देश के, अखबारों में वही बात दुहराई और बड़ा हर्ष प्रकट किया । आपने अपने वक्तव्य में यह लिखा कि भारतीय आर्य भाज से पाँच हजार वर्ष पहले भी खूब सभ्य हो गये थे। वे महलों में रहते थे। सोने-चाँदी के