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मध्य एशिया के खंडहरों की खुदाई का फल


कहीं नहीं पाई गई। जो पीथियाँ सबसे अधिक पुरानी हैं पे ईसा के ग्यारहवें शतक के पहले की नहीं। यहाँ को आबोहवा में इससे अधिक पुरानी पुस्तकें रही नहीं सकतीं; वे टूट फूट कर नष्ट हो जाती हैं। बाबर साहब को मिलो हुई पोयी में भिन्न भिन्न सात पुस्तके हैं। उनमें से तीन वैधक विषय की हैं। अवशिष्ट पुस्तकें विशेष करके बौद्ध-धर्म्म से सम्बन्ध रखती हैं।

जब से बाबर साहब की पोथी प्रकट हुई तब से तुर्किस्तान के रेगिस्तानी खँडहरों की खुदाई आदि का काम और भी जोरो से किया जाने लगा। फ्रांस, रूस, स्वीडन, जर्मनी आदि के पुरातत्वज्ञ वहाँ से राशि राशि प्राचीन वस्तु-समुदाय अपने अपने देश को उठा ले गये। चुनांचे ब्रिटिश गवर्नमेंट भी इस सम्बन्ध में चुप नहीं रही। कलकत्ता-मदरसा के प्रधान अध्यापक डाक्टर आरल स्टीन, की योजना उसने इस काम के लिए की। १९००-०१ ईसवी में डाक्टर साहब चीनीतुर्किस्तान को गये। वहाँ उन्होंने खुतन या खोटान (Khotan) के सूबे में जाँच-पड़ताल की। उन्हें अपने काम में अच्छी कामयाबी हुई। अनेक प्रत्न-रन उन्हें प्राप्त हुए। उनका वर्णन उनकी लिखी हुई पुस्तक--"प्राचीन खोटान" (Ancient Khotan ) मैं सविस्तर पाया जाता है। इसके बाद डाक्टर साहब ने चीनी तुर्किस्तान पर दो