पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/९४

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चतुरसेन की कहानिया उन्हें ऐसा मालूम हुआ कि मिस्टर जेन्टलमैन मनुष्य नहीं, देवता हैं। उन्होंने खुशीसे नोटों की तरफ हाथ बढ़ाया। लेकिन जेन्टल- मैन ने एक कागज उनकी तरफ बढ़ाकर कहा-"मिस्टर दास, इस कागज पर तुम्हें दस्तखत करने होंगे। और यह रुपया तुम्हारा है । उन्होंने रुपये मिस्टर दास के सामने फेंक दिए और ने काराज को बिना पढ़े ही दस्तखत कर दिए। मिस्टर जेन्टमैन ने रसीद लेकर अपनी जेब के हवाले की। मिटर दास अदालन का कमरा ठसाठस भरा था। 'व्यापार बैङ्क लिमि- टेड' का सनसनीदार मुकदमा हाईकोर्ट की फुल बेश्च में पेश था । मिस्टर दास और मिस्टर जेन्टलमैन अपराधी के कटघरे में खड़े थे। तीसरा अभियुक्त मिस्टर सिन्हा फरार था। चौथे सेठजी मर चुके थे। इन चारों के खिलाफ बैङ्क का रुपया अपने अपने निजी काम में लाने का अभियोग था। और यह बतलाया गया था कि इसी कारण बैंक फेल हो गया। मिस्टर जेन्टलमैन के साली सोटर ने अदालत को जवाब दिया । कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ यह इलजाम बिल्कुल गलत है। बैंक का रुपया निजी काम में खर्च नहीं किया गया। काग- जात में अलबत्ता रकम मेरे मुवक्किल के नाम दर्ज है। लेकिन माई लाड ! यह कर्जा नहीं है। मेरे मुवक्किल के ६७ लाख रुपए बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा हैं, जिनकी ये रसीदें अदालत में पेश करता हूँ। और उसने वह तमाम रसीदों का ढेर अदालत में पेश कर दिया। मि० जेन्टलमैन ने किस इरादे से इन रसीदों का संग्रह किया था, इसका भेद मि० दासको अब लगा और वह अचकचा,