पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/८५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चतुरसेन की कहानियाँ आपका यह साहस कि आप मेरे हुक्म की अदूली करें। मैं जो कहता हूँ वह आपको करना पड़ेगा।" इसके बाद उन्होंने मि० दास की तरफ मुखातिब होकर कहा-मि० दास! जो दवा आपको मि० सिन्हा देगे उसको इस्तेमाल कराने की जिम्मेदारी आपके ऊपर है । आपको मालूम है कि सेठजी बीमार हैं । आप आज रात भर उनके पास रहिए । और ठीक तौर पर दवा वगैरा देते रहिए। मि० सिन्हा आपको दो प्रकार की दवा देंगे। एक पीने की और एक मालिश करने को। आप मालिश करने की दवा चतुराई से इस ढंग से रख दोजिए कि जब आप सेठजों की स्त्री को दवा देने की हिदायत करके सो जाय. तो वह मालिश करने की दवा सेठजी को पिला दे। देखिए ऐसा करने से आपके ऊपर कोई इलज़ाम भी नहीं आ सकता। लोग यह समझेगे कि महज़ मामूली गलती हो गई और वह भी उनकी स्त्री के हाथ से " मि० दास ने स्वीकृति-सूचक सिर हिलाया। मि० जेन्टलसैन ने खड़े होकर कहा-"तो मि० सिन्हा, आप सेठजी को देख आइए और दवा मि० दास के हाथ भेज दीजिए। मि० दास! आप खबरदार रहिए कि आपका यह वार चूकने न पार। आपकी इस सेवा के पुरस्कार में पचास-पचास हबार स्पों के ये चेक हाज़िर हैं। यह कहकर उन्होंने जेब से निकाल कर दो चेक दोनों आदमियों के सामने फेंक दिए । इस भयानक रकम को जेब में डालकर दोनों आदमी इस अत्यन्त भयानक काम के करने को वहाँ से निकले । मि० जेन्टलमैन सीधे बैंक में गए और अपने आफिस में बैठकर चपरासी को हिदायत कर दी कि कोई शख्श मुलाकात १ 1