पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/७६

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चतुरसेन की कहानियाँ यह बड़े मुनाफे का धन्धा है । आप सेठजी, दस लाख के शेअर खतीद लीजिए।" सेठजी ने अकचका कर कहा-"क्या मैं : “जी हाँ..."फिर उन्होंने नोटबुक में कुछ लिखते हुए कहा-और मिस्टर दास, पाँच-पाँच लाख का हिस्सा हम तीनों का हुआ। लो, आधे शेयर तो बिक गए । पाँच लाख के शेयर रिजर्व रखते हैं, सिर्फ वीस लाख के बेचने हैं। एक सौ के शंभर होंगे, तीन किस्तों में रुपया लिया जायगा ! एक चौथाई पेशगी। निकालिए चिक, एक चौथाई रुपया अभी दे दीजिए। मिस्टर जेन्टलमैन अपनी नोक्चुक में लिखते जाते थे, और बात करते जाते थे। दोनों मित्र हैरान थे। मंठजी एक-टक देख रहे थे। मित्रों को पशोपेश करते देख मि जेन्टलमैन ने "यारों घबराते क्यों हो, आप लोगों की एक पाई भी तो खर्च नहीं होगी। उन्होंने स्वयं सवालाख का चिक काटकर सामने फेंक दिया। सेठजी और मित्रों ने भी चिक काट दिए। सवा लाख के चिक हो गए। उन्हें रद्दी कागज के टुकड़ों की भांति मि० दास के आगे फेंक कर उन्होंने कहा-"मि० दास, आप इस कम्पनी के मेनेजिंग डाइरेक्टर हुए । हजार रुपये माहवार आपको तनख्वाह मिलेगी। आप मेरे सॉलीसीटर के यहाँ चले जाइए, वे कुल कागजात तैयार करके कल ही कम्पनी रजिष्ट्री करा देगे। फिर आप एक अच्छी जगह पर ऑफिस किराए पर ले डालिए। अब हम पहिली डाइरेक्टरों की मीटिंग होने पर फिर मिलेगें।" मि० जेन्टलमैन वठ खड़े हुए। दोनों मित्र भी उठ चले।