पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/७०

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चतुरसेन की कहानियाँ डाक्टर ने हँस कर कहा-"यह तो बहुत ही अच्छी बात है। "वैर, लो आप तैयार हैं, मैं काम शुरू की ?" "कीजिए "बहुत अच्छा । अपनी में तीनों दुकानें मथ माल के मेरे दोस्त मि दास और डा. सिन्हा को बेची कर दीजिए। रुपया भरपाई की रसीद भी दे दीजिए और समन, मीजिए कि यह आपका एक लाख रुपया जलकर खाक हो गया । कहि आपको पेशोपेश तो नहीं ?" सेठ जी घबराकर जेन्टलमैन की तरफ देखने लगे। उन्होंने कहा- आप अपना लद्दश्य तो कहिए?" "जनाब, मैं किसी के सामने कभी कैफियत नहीं देता!"-- वे अपना टोप सम्हाल कर उठने लगे। सेठ जी ने अनुनय से कहा- आप नो नाराज हो गए। आप जानते हैं, लारच रुपए की जोखिम है। सोचने की जरूरत है। "श्राप करोड़ों रुपये योही पैदा करना चाहते हैं ? नाइए, सोच-सोच कर जान खपाइए, मैं चलता हूँ !" सेठ जी ने उनका हाथ पकड़ कर कहा--"अच्छा मुझे मंजूर है । और कहिए ? "जेन्टलमैन ने जेब से एग्रीमेन्ट का ड्राफ्ट निकाल कर कहा- इस पर दस्तखत करके यह काम खत्म कर दीजिए। सेठ जी ने दस्तखत कर दिए। उस कागज को जेब में डाल कर जेन्टलमैन ने कहा- यह एक काम हुआ। अब दूसरा काम यह, कि आप तमाम मार्केट ५५