पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/६४

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चतुरसेन की कहानियाँ जेन्टलमैन को पहिचानना बहुत कठिन है। पर आप जब किसी आदमी को सिर से पैर सक साहिबी ठाट से भरपूर देखें, जिसकी मछे या तो सफाचट हो या दीमक-चट। जो बात-बात में मुस्कुरा कर नम्रता से 'थैङ्क यू कहे ! स्त्रियों के, खास कर युव- तियों के सामने बाकायदा जमनास्टिक की कसरत दिग्वाद, मुंह से धुंआ उगलता रहे, बस समझ लीजिए, अदबद कर वही सतयुग के अन्त में सत्तासी हजार ऋपियों के बीच महाज्ञानी श्रीकाकभुशुण्डी जी महाराज ने जैन्टल मैन का इस प्रकार वर्णन किया था कि हे ऋषियो, कलियुगमें एक जेन्टलमैन नाम का जीव जन्म लेगा । वह सब पदार्थों का भक्षण करेगा, उसे धर्म और नोति का भय न होगा, वह परमेश्वर की शक्ति से इन्कार कर देगा, उसके लिए कुछ भी अशक्य न होगा, वह कामबेशी होगा, वह केवन झूठ बोलेहीगा नहीं-मूठे काम को नत्व करके दिखा- एगा। उसका शस्त्र फाउन्टेनपेन होगा। लाक-लिहाज से बचने को और शील से आँखों की रक्षा करने के लिए वह सुनहरी कमानी का चश्मा आँख पर चढ़ाए रहेगा ! उसका युद्धस्थल दफ्तर होगा। वह काग़ज़ के घोड़े पर सवार होकर भूमण्डल पर विचरण करेगा। उसकी जमापूजी सब जबान में होगी। वह पराए धन का महायज्ञ करेगा। उसका रक्षा कवच लिमिटेड कम्पनी होगा। वह अखबारों की तोप से मदद लेगा। उसके पास कुछ भी न होगा, फिर भी वह लाखों रुपए खर्च सकेगा। वह कानून का पुतला होगा, इसलिए कानून उसका कुछ न कर सकेगा। वह महात्यागी और महास्थितप्रज्ञ होगा, हानि-लाभ एकरस रहेगा! हे ऋषियो, वह बीसवीं शताब्दी का एक ४६