पृष्ठ:पीर नाबालिग़.djvu/१२५

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विधवाश्रम & “बह उन्हीं के पास है। "अच्छी बात है"--इन्स्पेक्टर ने एक कॉन्स्टेबिल से कहा- लाला तोड़ दो।" डॉऋटर साहब के विरोध करने पर भी ताला तोड़ दिया गया ! देखा, उसमें तीन कोठरियों में तीन लियाँ वेद थीं। उन्होंने बयान दिए कि हमें फुलता कर लाया गश है और शादी करने को राजी न होन पर बन्द कर दिया गया है। अधिधानाजी डॉक्टर जी. ईपिताजी, और पुत्री जी 5 अधिष्टानी ईका जी तथा गजपति जी और बल- वन्त तथा उक्त तीनो रियों को साथ ले पुलिस-इन्स्पेक्टर याने को चल दिया ! धर्मात्मा हवालत की शोमा वृद्धि करने लगे। & कई त्रियों के गायब होने की रिपोर्ट पुलिस में प्रथम ही से पहुँची हुई थी। पुलिस ने स्त्रियों से पूछ कर उनके वारिसों को बुला लिया । और सब सवून तैयार होने पर मैजिस्ट्रेट के सामने मुकदमा दायर किया गया । मैजिस्ट्रेट के सामने पहुंच करता डॉक्टर साहब ने गम्भीर धर्मभाव धारण कर लिया। "धरमपुत्री नी बड़ी सीधी गऊ बन गई । गजपति ने रोनी सूरत बना ली। तीनों खियाँ लज्जा से सिकुड़ी खड़ी थीं। आखिर औरतों को उड़ाने, उन्हें बेचने और जबर्दस्ती बन्द कर रखने का मुकदमा चला।