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, से-कम यहाँ आश्रम में रहकर सत्कर्म करने के नाम पर औरों से धोखाधडी तो नहीं होगी। माँ-पिताजी लगातार पूछ रहे हैं, आगे क्या करने जा रहे हो? मेरे पास कोई ठोस उत्तर नहीं। पिछले हफ्ते अनिकेत का फोन आया। फिरसे हमारा मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। कोई भी साथी न होने से, अनिकेत भी अच्छा लगता है। क्योंकि अकेले रहना नामुमकीन लग रहा है। आज उसने मुझसे पचास रूपये उधार लिए। बोला, किताब के लिए चाहिए। मैंने भी खुशी से दे दिए। अनिकेत कैसा भी हो, मुझे अच्छा लगता है। वो ही अकेला है, जो इस दुनिया में मुझे करीब आने देता है। पुरानी किताबों की दूकान से कल हम एक मॅगेझिन लाए। 'होमो लव्ह'। कहाँ क्या मिलता है यह अनिकेत सब जानता है। हम जैसे पुरुष कहाँ मिलते है, पुरुष समलिंगी वेश्याव्यवसाय कहाँ पर चलता है, उसे सब बातें मालूम रहती हैं। उसने मुझे यह सब जगह दिखाई हैं। मॅगेझिन के सौ रूपये मैनें ही दिए। उस में बीस पच्चीस की उमर के गोरे मर्दो के सुंदर नग्न फोटो है। होमो ब्ल्यू फिल्म कहाँ मिलती हैं इसका भी अनिकेत को पता है। मैं भी ऐसी फिल्म देखना चाहता हूँ, पर सवाल है, कहाँ देखू? अभी वह मॅगेझिन उसके पास है। बाद में ले लूँगा। एक हफ्ता हो गया। अनिकेत बाहर गाँव गया है। उसकी बहुत याद आ रही कल मैंने अनिकेत को एक दूसरे लड़के के साथ कार में देखा। उसका ध्यान नहीं था। मुझे बहुत गुस्सा आया है। मुझे कह गया था कि 'बाहर गाँव जा रहा हूँ। अब आने दो उसे देखता हूँ। कार में वही था। सिग्नल के लिए चौराहे पर मेरे बगल में ही रूका था। एक बार सोचा कि, कार की काँच पर टकटक करके उसे पुकारूँ | पर, वो इतना अचानक दिखाई दिया था, की मैं खुद को संभल नहीं पा रहा था, कुछ समझ में न आ रहा था, क्या करूँ, क्या करना चाहिए। रातभर सो न सका। आज हम मिले, तो मैंने उसे पूछा, 'कैसा रहा तुम्हारा सफर?' तो बोला 'अच्छा रहा।' उसने सफर के बारे में एकदम डीटेल में बताया। मैंने अगर उसे देखा , २७... ... į