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परसो रास्ते में दिखाई दिए थे। एक बार विचार आया आगे हो कर उन से मिलूाँ पर मालूम नहीं क्यों, आगे हो न पाया। मिलता तो भी क्या बोलता? क्या कहता? वे तो मुझे याद भी नहीं करते होंगे। उस जनाना ढंग के लड़के का नाम मैं नहीं जानता। उसे सब ‘अरी ओ' कहके पुकारते है। उसका औरत जैसा चाल चलना देखकर मुझे तो उससे डरही लगता है। घिन लगती है उससे। लड़के उसका मजाक उड़ाते रहते है। खास करके जतीन। उसका एक ग्रुप है। उसमें चार लड़के और दो लड़कियाँ हैं। दोनों में से एक है नेहा। वो हमेशा जतीन के साथ दिखाई देती है। मुझे उन दोनों से दाह होता है, द्वेष भी लगता है। यह ग्रुप उस 'अरी ओ' को बहुत परेशान करता रहता है। कभी पीछले बेंच पर से उसे काग़ज़ के चीथडे फेक के मारना, कभी सरपर थप्पड मारना। ऐसी हरकतें करते रहते है। उसने पीछे मुड़कर देखा तो सब चूपचाप। वो कुछ नहीं कर पाता। अब वो आखरी बेंच पर बैठता है। मुझे उसपर दया आने लगी है। किसी का उसने क्या बिगाड़ा है? वो बेचारा न तीन में न तेरह में। आज मैंने जतीन को यह बात बताने की कोशिश की। 'जाने दे ना, जतीन.... क्यों उस बेचारे को परेशान करते हो?' मैंने ऐसा कहते ही जतीन उल्टा मुझपर टूट पड़ा, 'क्यों बे, तुझे क्या पड़ी है उससे? तुम भी उसके जैसे हिजडे हो क्या? कभी कभी तुम पर भी शक होता है मुझे!' जतीन की झिड़क सुनते ही मैं सहम गया। किस बात पर शक? मेरे हिजडा होने का शक? जॉन कहता है, 'उनका नीचे कुछ नहीं होता है।' मतलब उस 'अरी ओ' का नीचे कुछ भी नहीं होगा? मैं तो बिल्कुल ही वैसा नहीं हूँ। मेरा तो सबकुछ ठिकाने पे है। उधेड बुन में पड़ा हूँ। पूछे तो किससे? उस लड़के का नाम आखिर तक मुझे मालूम नहीं हुआ। हिजडा शब्द का अर्थ श्री उस वक्त मैं समझता नहीं था लेकिन साडी पहने हुस, रास्तों पर भटकने वाले पुरुषों से जतीन मेटा नाम जोड़ रहा है. इस विचार से मैं बेचैन हो उठा था। डर गया था। असुरक्षितता की भावना ने घेर लिया था। अब इतने दिनों बाद जब विचार करता हूँ, तब ध्यान में आता है की हिजडा शब्द का 3 १४ ...