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अर्थात शैलेश जो बॅटिंग कर रहा था, उसने मुझे हाथ जोड़के थैक्स कहा, मैंने भी 'नो मेन्शन' में जबाब दिया। तब मनिष ने मेरे पीठ में एक चूंसा जमाया। वह कॅप्टन हुआ तो क्या हुआ, हरामी। मेरे ही बल्ले से खेलते हैं और मुझ पर हाथ उठाते हैं। अब मै क्रिकेट खेलूँगा ही नहीं। हात मलते रह जाएंगे सब के सब। धीरे-धीरे मेरे मन में क्रिकेट के बारे में कमाल की चिढ़ पैदा हो गई। बहुत सालों तक मैं क्रिकेट से नफरत करता रहा। अभी- अभी मैं मॅचेस देखने लगा हाँ साहुल, सचिन, जहीर जबसे क्रिकेट खेलने लगे हैं, मुझे क्रिकेट अच्छा लगने लगा है। कल हनुमान जी के मंदिर में गया था। देखा तो मेरे सामने हाथ जोड़े हुए एक लड़का खड़ा था। कितना खुबसूरत था! मेरी तो नजर उस परसे हटती ही नहीं थी। वो थोडा खिसक गया, फिर भी मैं मुड मुड के उसकी तरफ देखता ही रहा। वाह क्या खुब दिख रहा था। वो प्रदक्षिणा के लिए चला गया। इधर मैंने हाथ जोड़ के आँखे बंद कर ली। हनुमान जी का स्तोत्र मन में दोहराना शुरू किया। फिर भी बंद आँखो के सामने वह लड़का दिखाई देने लगा। एक क्षण हनुमान जी की मुरत आती, तुरंत उसकी जगह वही लड़का दिखता। काले रंग की टाईट पँट उसने पहनी थी। उसमें से अंडरवेअर का किनारा दिखाई दे रहा था। मुझे तुरंत ऐंठन हो गई। शरम भी लगी। मंदिर में मेरा यह सब क्या चल रहा है! छी:। मैं किसी दूसरे समय मंदिर जाऊँगा। मेरा बर्थ-डे क्लासमें किसीने भी मनाया नहीं। जतीन का बर्थ-डे पूरा क्लास मनाता है। शाम को घरवालों के साथ बाहर होटल में खाना खाया। एक फिल्म देखी। माँ और पिताजी ने मुझे टी शर्ट और जीन्स गिफ्ट दिया। मंदिर जाता हूँ और वहीं पिछडता रहता हूँ। मन ही मन उसकी राह देखता हूँ। पर उस दिन के बाद वो मुझे फिर कभी दिखाई नहीं दिया। भगवान मेरा बरताव देख रहे हैं। एक दिन ऐसे फटकार देंगे, याद रहेगी। मंदिर जाना ही छोड़ देना चाहिए। लेकिन इतने में नहीं। इम्तिहान जो सर पे है! इम्तिहान खत्म हो गए। नतीजे भी आ गए। मेरा नंबर आठवाँ आया। पिछले साल की अपेक्षा एक स्थान आगे आ चुका हूँ। ...८...