पृष्ठ:पाइअ सद्द महण्णवो - समर्पण.pdf/५

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संकेत | पन्थ का नाम। संस्करण आदि | जिसके अंक दिये गये हैं बह । कम्म ५ > कर्म्ग्न्थ पौचवो १ भीमसिंह माणेक, अम्बई, संवत्‌ १६६८ .«« गाथा ु २ जैन-धम प्रसारक समा, भावनगर, संबत्‌ १६६८ कं कम्म ६ 5 ,, छठवीं हे; ब्०० ५३ कम्सप. + कमंप्रकृति जैन-धर्म-प्रसारक-सभा, भावसगर, १६१७ कक पल्‌ करू “ करूणावज़ायुक्म्‌ आत्मानन्द-जेन-सभा, भाषनगर, १६१६ ९९ पृष्ठ के 5 कणयाभार लिवेन्द्र-संस्कृत-सिरिज क्् का खा कपूर > कपूरचरित (भाण ) गायकवाड ओरिएम्टल्लू सिरिज, न॑. ८, १६१८ हा कर्म - कर्मकुछक न* हस्त-ल्लिखित ह गाथा कस . 5-5 ( युहत्‌ ) कल्पसूत्र # डे, डबल्यु. शुर्नि-संपादित, ब्लाइपजिंग, १६०५ .,.. काप्र “ काव्यप्रकाश बामनाचार्यक्ृत-टीका-युक्त, निर्णयसंागर प्रेस, बम्बई ... प्रष्ठ काल. 5 कालकाचार्यक्रथानक ओ डॉ. एच. जेकोबी-संपादित, जेड-डी-एम-जो, खंड ३४, श्यप० किरात + किराताजुमीय ( व्यायोग ) गायकवाड श्रोरिएन्टक्न सिरिज, ने ८, १६१८ प्रृष्ठ क्कुप्र + कुमारपाल्नप्रतिबोध गायकवाड-ओरिएयटक्लू सिरिज, १६२० ५ हा क्र्मा क्ः कुमारपाह्नचरित # बंबई-संस्कृत-सिरिज, १६०० कुम्मा न कुम्मापुत्तचरिह्म स्व-संपादित, कल्लकत्ता, १६१६ ... ५ पृष्ठ कुलक < कुल्लकसंग्रह जैन श्रेयस्कर मंडल्न, म्हेसाणा, १६१४ 4५ खा न खामणाकुल्षक +* हस्तल्लिखित गाथा खेत्त + लंघुच्चेन्रसमास भीमसिंह माणेक, बंबई, संवत्‌ १६६८ खाक... मु गठड. < गछठडवहो % बंबई-संस्कृत-सिरिज, श्यं८घ७ ... हि गच्छ - गच्छाचारपयन्नों हस्तल्लिखित बह ता अधिकार, गाथा २ चंदुष्ताल मोहोल्लाक्ष कोठारी, अहमदावाद, संवत्‌ १६८ क० ,,

ह ३ शेठ जमनाभाई भगूभाई, अहमदाबाद, १६२४ हक गण - गशाधरस्मरणा स्व-संपादित, कलकत्ता, संबत्‌ १६७८ «गाथा गणि > गयिविज्जापयन्नो :.- राय धमपतिसिह बहादूर, कऋल्लकत्ता, १८४२ ना न गा. *« गॉथासप्तशतो + १ डॉ. ए. बेबर्‌-संपादित, क्लाइपजिंग, श्य८१ कर

२ निर्यायसागर प्रेस, बम्बई, १६११ ५० है गु < . गुरुपारतनलय-स्मरण स्व-संपादित, कल्नकत्ता, संवत्‌ १६७८ «». गाथा गुण. < गुणानुरागकुक्षक अंबाल्ाक्ष गोव्धनदास, बम्बई, १६१३ न... के



+ श्रद्धेय के, मे. मोदी द्वारा प्राप्त

+ हज्लाइपजिंग वाले संस्करण का नाम “सप्तशतक डेस हाक्ष” है और बम्त्रई वाले का “गाथासप्तशती” | अन्थ एक ही है, परन्तु बम्बरह वाले संस्करण में सांत शतकों के विभाग में करीब ७०० गाथाएं छपी हैं और क्लाइपजिग वाले में सीधे नंबर से ठीक १७०० । एक से ७०० तक की गाथाए दोनों संस्करणो में एक-सी हैं, परन्तु गाथाओं के क्रम में कहीं कहीं दो चार नंबरों का झआग्म-पीछा है | ७०० के बाद का आर ७०० के मीतर भी जहां गाथांक के अनन्तर झ' दिया है बह नंबर केवल ज्ञाइपजिग के ही संस्करया का है।