पृष्ठ:पाइअ सद्द महण्णवो - समर्पण.pdf/३

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संकेत ।

घ्यंग अत

अच्च अजि अज्क

अर च्य़्नु

अभि जअबि अआाउ

खाक

आचा

आवचानि आचू आत्म अागत्महिं आत्मानु

  1. ऐसी निशानी वाले संस्करणों में अकारादि क्रम से शब्द्र-सूची छपी हुई है, इससे ऐसे संस्करणों के पृष्ठ आदि के

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प्रमाण-यन्‍्थों [ रेफरन्सेज्ञ ] के संकेतों का विवरण ।

अन्थ का नाम |

अंगचूल्षिआ अंतगडदसाओ

अच्चुअसअझ॑ घ्ाजिअसंतिथव खझध्यात्ममतपरीक्षा

अशुओगदारसुत्त अयणुत्तरोववाइआअदसा

ध्यभिज्ञानशाकुन्तत्न अविमारक श्राउरप्ूचक्खा यापयन्नो

१ आवश्यककथा २ आवशश्यक-एर ज्या न्‌ु गन आचारांग सूल्न

आचाराक्ज-नियु क्ति आवश्यकचूयों आत्मसंबोधकुक्षक आत्महितोप्देश-कुल्क आत्मानुशास्ति-कुल्लक


हि मम

संल्करणा आदि | जिसके अंक दिये गये हैं वह । हस्तलिखित | £ १ रोयल एसियाठिक सोताइटी, झ्लंडन, १६०७ ,., २ धआआागमोदय-समिति, बंबई, १६२० हक पल्ल वेशीविल्लास प्रेस, सद्रास, श््८७२ स्ह्ड गाथा

स्व-संपांदित, कल्नकत्ता, संवत्‌ १६७८

१ भीमसिंह माणुक, संबत्‌ १६३३

४२ जन आत्मानन्द सभा, भावनगर

१ राय घनपतिसिंहजी बहादूर, कलकत्ता, संवत्‌ १६३६ ' २ आगमोदय समिति, १६२४ बम्बई ५८ पत्र

  1. १ रोयक्ष एसियाटिक सोसाइटी, लंडन, १६०७

२ आपमोदय-लमिति, बंबई, १६२०

क्क्स पत्र निर्धायसागर प्रेस, बंबई, १६१६ न्‍् पृष्ठ लिवेन्द्र संस्कृत सिरिज ३5 १ जैन-धर्म-प्रसारक सभा, भावनगर, संवत्‌ १६६६ गाथा .

२ शा, बाज्लाभाई ककल्लभाई, अमदावाद, संवत्त १६६२ हरुतक्षिखित

99

डी. इ. ल्युमेन-संपादित, क्लाइपजिय, श्य६७ . ... प्रष्ठ

  1. % १ डे. डबल्यु. शुब्रिग संपादित, ज्लाइपजिय, १६१०

+ २ आगमोदय-समिति, बंबई, १६१६ ऋतस्कन्घ, अध्य० ३ प्रो. रवजीभाई देवराज-संपादित, राजकोट, १६०६ ५ आगमोदय-समिति, बंबई, १६१६ ... .... गाथा हस्तलिखित ५ ««« अध्ययन

+॑' हस्तल्नलिखित ... , ६ 2६५ गाथा

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अंकों का उल्लेख प्रर्ुठुत कोश में बहुधा नहीं किया गया है, क्योंकि पाठक उस शब्द-सूची से ही अभिलषित शब्द के रुथन्न को तुरन्त पा सकते हैं। जहाँ किसी विशेष प्रयोजन से अंक देने की आवश्यकता प्रतीत भी हुई है, वहँ। पर उसी ग्रन्थ की पद्धति के अनुसार अंक दिये गये हैं, जिससे जिज्यासु को अभीष्ट स्थल्न पाने में विशेष सुविधा हो।

+ इन संस्करणों में भ्रुतसकन्ध, ध्यध्ययन और उदं श के अक्ल समान होने पर भी सल्लों के झअहू मिन्‍न भिन्न हैं | इससे इस कोष में जिस संस्करण से जो शब्द क्षिया गया है उसी का सलाइू वहाँ पर दिया गया है। अंक की गिनती उसी उदंश या अध्ययन के प्रथम सल से श्ारम्म को गई है|

+ अ्द्धेय श्रीयुत केशवन्लान्रभाएँ प्रेमचन्द मोदी, बी.ए., एन्नू एलजी, से प्राप्त