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ज़िहाद


भी उसे स्वर्ग में बैठा देख रही हूँ। तुमने हिन्दू-जाति को कलङ्कित किया है। मेरे सामने से दूर हो जाओ।

धर्मदास ने कुछ जवाब न दिया। चुपके से उठा, एक लम्बी साँस ली और एक तरफ़ चल दिया।

प्रातःकाल श्यामा पानी भरने जा रही थी तब उसने रास्ते में एक लाश पड़ी हुई देखी। दो-चार गिद्ध उस पर मँडरा रहे थे। उसका हृदय धड़कने लगा। समीप जाकर देखा और पहचान गई। यह धर्मदास की लाश थी !

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