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कप्तान साहब


पूछा--क्या नाम है ? सैनिक ने फौजी सलाम करके कहा--'जगतसिंह।'

'क्या चाहते हो ?'

'फौज में भरती कर लीजिए।'

'मरने से तो नहीं डरते ?'

'बिलकुल नहीं--राजपूत हूँ।'

'बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।'

'इसका भी डर नहीं।'

'अदन जाना पड़ेगा।'

'खुशी से जाऊँगा।'

कप्तान ने देखा बला का हाजिर-जवाब, मन-चला,हिम्मत का धनी जवान है, तुरत फौज में भरती कर लिया। तीसरे दिन रेजिमेंट अदन को रवाना हुआ। मगर ज्यों-ज्यों जहाज़ आगे चलता था, जगत का दिल पीछे रहा जाता था। जब तक जमीन का किनारा नज़र आता रहा, वह जहाज़ के डेक पर खड़ा अनुरक्त नेत्रों से उसे देखता रहा। जब वह भूमि-तट जल में विलीन हो गया, तो उसने एक ठंडी साँस ली और मुँह ढाँपकर रोने लगा। आज जीवन में पहली बार उसे प्रिय जनों की याद आई। वह छोटा-सा अपना क़स्बा, वह गाँजे की दूकान, वह सैर-