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वृक्ष-विज्ञान


लेखक-दृश्य--


{बाबू प्रवासीलाल वर्म्मा, मालवीय
{बहन शान्तिकुमारी वर्म्मा, मालवीय

यह पुस्तक हिन्दी में इतनी नवीन, इतनी अनोखी और इतनी उपयोगी है कि इसकी एक-एक प्रति देश के प्रत्येक व्यक्ति को मँगा कर अपने घर में अवश्य रखना चाहिए। क्योंकि--इसमें प्रत्येक वृक्ष की उत्पत्ति का मनोरंजक वर्णन देकर, यह बतलाया गया है कि उसके फल, फूल, जड़, छाल, अन्तरछाल, और पत्ते आदि में क्या-क्या गुण हैं तथा उनके उपयोग से, सहज ही में कठिन-से-कठिन रोग किस प्रकार चुटकियों में दूर किये जा सकते हैं। इसमें--पीपल, बड़, गूलर, जामुन, नीम, कटहल, अनार, अमरूद, मौलसिरी, सागवान, देवदार, बबूल, आँवला, अरीठा, आक, शरीफा, सहँजन, सेमल, चंपा, कनेर आदि लगभग एक सौ वृक्षों से अधिक का वर्णन है। और आरंभ में एक ऐसी सूची भी दे दी गई है, जिससे, आप आसानी से यह निकाल सकते हैं कि कौन से रोग में कौनसा वृक्ष लाभ पहुँचा सकता है। प्रत्येक रोग का सरल नुसखा आपको इसमें मिल जायगा।

जिन छोटे-छोटे गाँवों में डाक्टर नहीं पहुँच सकते, हकीम नहीं मिल सकते और वैद्य भी नहीं होते, वहाँ के लिये तो यह पुस्तक एक ईश्वरीय विभूति का काम देगी। इसलिए अविलम्ब इस पुस्तक को मँगा लेना चाहिए। छपने के पहले ही इसके आर्डर आने लगे हैं। बहुत जल्दी इसका प्रथम संस्करण सलाप्त हो जाने की संभावना है।

पृष्ठ-संख्या पौने तीन सौ, मूल्य सिर्फ १॥), छपाई-सफाई, काग़ज़ और कव्हरिंग बिल्कुल इंग्लिश।